कछुआ और हंस

 बहुत समय पहले एक घने जगल से होकर बहने वाली एक नदी में एक कछुआ रहता था नदी के पास ही रहने वाले दो हंसो से उसकी बड़ी अच्छी दोस्ती थी। वे नदी में साथ ही तैरते ओर भोजन करते। आपस में गपशप करते हुए कब दिन निकल जाते उन्हें पिता ही नहीं चलता था। कछुआ अक्सर हंसो से कहता कि काश वह भी उनकी तरह खुले आकाश में उड़ सकता। हंस कहते कि अगर कछुए की तरह उनकी पीठ पर भी मजबूत कवच होता तो उन्हें शिकारियों के तीरों का डर नहीं रहता।  एक बार उस जगल में अकाल पड़ गया। अकाल की वजह से जगल के पेड़ सूखने लगें और वहां खाने पीने की वस्तुओं की भारी कमी हो गई। अब तो जानवर बहुत परेशान हुए। हरे भरे स्थान की तलाश में वे दूसरी जगहों पर जाने लगे। नदी में पानी की मात्रा बहुत कम रह गई थी। इसलिए हंसो ने भी किसी दूसरी नदी पर जाने का निश्चय किया। जब वे कछुए को अपने निर्णय के बारे में बताने के लिए गए तो वह रोते हुए कहने लगा अगर तुम लोग मुझे यहां अकेले छोड़कर चले गए तो मैं जीवित कैसे रहूंगा अगर मैं अकाल से न भी मरा तो अकेलेपन से जरूर मर जाऊंगा। तुम्हे तो पता ही है तुम्हारे अलावा मेरा यहां कोई दोस्त भी नहीं है। 

कछुए की बात सुनकर हंसो की आंखे भी भीग गई। वे कछुए के साथ अपनी सहानुभूति प्रदर्शित करते हुए बोले तुम्हीं बताओ कि हम क्या करे। हम यहां रहकर जीवित नहीं रह सकते और अगर हम यहां से जाते हैं तो हमें तुम्हे यहां छोड़कर जाना पड़ेगा। अगर तुम्हे उड़ना आता होता तब तो हम तुम्हे अपने साथ जरूर ले चलते। हमें परिस्थितियों को स्वीकार करना ही पड़ेगा। शायद हमारा भाग्य यही चाहता है कि हम बिछड़ जाए। तभी कछुए के दिमाग में एक विचार आया। उसकी आंखे खुशी से चमक उठी। कछुए को अचानक खुश होता देखकर दोनों हंस बड़ी हैरत से एक दूसरे को देखने लगे। 

कछुआ मुस्कुराता हुआ बोला मैं भले ही तुम्हारी तरह न उड़ सकू लेकिन तुम्हारे साथ तो उड़ सकता हु। वो कैसे हंस अपनी पलके झपकाते हुए बोले। तुम दोनों एक डंडी को उसके सिरों से पकड़कर खड़े हो जाओ। उसका बीच का हिंसा में अपने मुंह में दबाकर लटक जाऊंगा। जब तुम लोग उड़ोगे तो मैं भी तुम्हारे साथ उड़ चलूंगा कछुए ने बताया। 

कछुए की बात सुनकर हंसो को बहुत आश्चर्य हुआ। वे सोच रहे थे जो तरकीब हमारे दिमाग में नहीं आई। वह इस कछुए के दिमाग में कैसे आ गई। 

वे जल्दी ही एक मज़बूत लकड़ी उठा लाए और कछुए से बोले तुम इस डंडी को मजबूती से पकड़कर लटक जाओ। लेकिन एक बात का ध्यान रखना। किसी भी स्थिति में यह डंडी तुम्हारे मुंह से छुटने न पाए। यह सम्भव है कि यात्रा में मनुष्य तुम्हे देखकर हंसे। उनकी आदत है जो बात उन्हें समझ में नहीं आती वे उस पर हंसने लगते हैं तुम उनकी बात सुनकर उन्हें जवाब देने की कोशिश मत करने लगना नहीं तो आसमान से सीधा जमीन पर जा गिरोगे। 

फिर वे हंस कछुए को उड़ाकर ले चले। जब वे आसपास के गांवों के ऊपर से गुजरे तो उनमें रहने वाले लोग यह दृश्य देखकर आश्चर्यचकित रह गए। 

एक आदमी चिल्लाया अरे देखो उड़ने वाला कछुआ 

कछुए के पर लग गए हैं दूसरा बोला।

तीसरे ने मुंह खोला जरूर इस कछुए ने भगवान की उपासना की होगी। इसी के बदले भगवान ने इसे यह वरदान दिया होगा। अरे छोड़ो चौथे ने कहा ये हंस जरूर मरे हुए कछुए को इस तरह ले जा रहे हैं। मरे हुए तुम होगे बेवकूफों कछुए आखिरकार अपना मुंह खोल ही दिया। बहुत कोशिश करने के बाद भी वह चुप नहीं रह सका था। 

उसके मुंह खोलते ही वह आसमान से सीधा जमीन पर गिरने लगा। वह सीधा पीठ के बल जमीन से जा टकराया। बहुत ऊंचाई से गिरने के कारण उसकी पीठ चकनाचूर हो गई और उनके प्राण उड़ गए। हंसो को अपने मित्र कछुए के इस तरह मारे जाने का बहुत दुख था लेकिन अब वे भला क्या कर सकते थे। 

शिक्षा= स्वयं पर नियंत्रण कभी मत खोओ।

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