होशियार केकड़ा

 बहुत समय पहले एक घने जंगल में एक सुंदर झील थी जिसमें बहुत सी मछलियां, केकड़े, मगरमच्छ और अन्य प्राणी रहते थे। झील के निकट ही एक चालाक बगुला रहता था। झील की मछलियां और केकड़े ही उसका भोजन थे लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था और उसमें शिकार करने का दम और हौसला नहीं बचा था। एक दिन उसने मछलियों ओर केकड़ों का शिकार करने की एक तरकीब सोच निकाली। अगले ही दिन उसने झील के तट पर पहुंचकर आंसू बहाने शुरू कर दिया उसे रोते देखकर झील में तैर रही मछलियों को हैरानी हुई कुछ मछलियों ने उसके पास आकर पूछा बगुला काका क्या हो गया तुम रो क्यों रहे हों किस बात ने तुम्हे इतना दुखी कर दिया है। इतनी सारी मछलियों को पास देखकर बगुले का दिल खुशी से उछल रहा था। लेकिन उसने चेहरा पर दिल के भावों को प्रकट नहीं होने दिया। वह बड़ी दुखी आवाज में बोला आज में बहुत दुखी हू आज के बाद मैं तुम्हे कभी न देख पाऊंगा। क्यों क्या हुआ एक मछली ने पूछा तुम ऐसा क्यों कर रहे हो। तुम जब चाहो हमसे मिलने यहां आ सकते हो। आज सुबह मेरी एक ज्योतिषी से मुलाकात हो गई। उसने मुझे बताया कि यह झील जल्दी ही सुख जाएगी और इसमें रहने वाले सभी प्राणी तड़प तड़प कर मर जाएंगे। यह सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ। दुख के मारे मेरा गला भरा हुआ है। और मुझसे खाना भी नहीं खाया जा रहा। बगुला बोला। 

बगुले की बात सुनकर सभी मछलियां बहुत घबराई। उन्होंने तुरंत डुबकी मारी और अपनी रानी के पास जा पहुंची। एक ही सांस में उन्होंने रानी को बगुले द्वारा बताई गई सारी बात दी। उनकी बाते सुनकर रानी भी परेशान हो गई और इस समस्या का हल सोचने लगी। तभी एक मछली ने उसे सलाह दी। मेरे ख्याल से यही बेहतर होगा कि मामले में हम बगुला काका से ही मशविरा कर ले। वे बड़े हैं और उन्होंने दुनिया देखी है वे जरूर इस मसले का कोई हल खोज निकालेगे। 

रानी को भी उस मछली की बात पसंद आई। वह तुरंत सभी मछलियों को साथ लेकर झील के तट पर जा पहुंची जहां बगुला बड़ी बेसब्री से उनका इंतजार कर रहा था। रानी ने उससे कहा मछलियों ने मुझे वह सब कुछ बता दिया है जो आपने उनसे कहा था। ज्योतिषी की बात बहुत ही चिंताजनक हैं हमे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा कि हम क्या करे। क्या आप हमें इस मुसीबत से बचने का कोई रास्ता बता सकते है। इतनी सारी मछलियों को पास देखकर बगुले की लार टपकने लगी थी। बड़ी मुश्किल से उसने खुद को काबू में किया और विचारमग्न होने का नाटक करने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपनी आंखे खोली और बड़ी संजीदगी से रानी मछली से बोला आप लोगों को बचाने की एक तरकीब मेरे दिमाग में आई है। इस जंगल के किनारे एक विशाल नीली झील है मैं एक एक आप सबको वहां ले चलूंगा। लेकिन यह तरकीब तभी कामयाब हो सकती है जब आप लोग मुझ पर भरोसा करे। इस काम में कई दिन लगेगे इसलिए आप सबको धीरज रखना पड़ेगा। हमें आप पर पूरी तरह विश्वास है बगुला काका तभी तो हम यहां आई हैं अब हम सबका जीवन आपके हवाले हे आप ही हमे इस मुसबित से बचाए रानी मछली ने तुरंत कहा। तब तुम लोग बिल्कुल चिंता मत करो। बगुला खुशी से बोला तुम्हारी हिफाजत का जिम्मा में अपने सिर पर लेता हु कल से मैं तुम सबको एक एक करके उस झील में ले जाना शुरू कर दूंगा। तुम लोग आपस मे तय कर लो कि कौन मछली पहले चलेगी। अगले ही सुबह ही झिल की सारी मछलिया तट पर आ पहुंची। रानी मछली पहले दिन जा रही मछली को विदा करती हुई बोली गुंजा तनिक भी चिंता न करना बगुला काका के साथ बेफिक्र होकर जाओ। जल्दी ही काका तुम्हारी सहेलियों को भी वहां ले आएंगे। बगुला गूंजा को लेकर चला तो, लेकिन वह उसे दूसरी झील की बजाय एक चट्टान पर ले गया। गुंजा कुछ समझ पाती इसके पहले ही वह उसे चीरफाड़ कर खा गैर। इसके बाद वह झील पर लौट आया। मछलियों को उसने यही बताया कि उसने गुंजा को दूसरी झील में छोड़ दिया है। अगली सुबह वह दूसरी मछली को लेकर चल पड़ा। उसके साथ भी वहीं हुआ। अब बगुला रोज यही करता। एक दिन एक होशियार केकड़ा बगुले के पास जाकर बोला काका मुझे भी इस झील से ले चलिए न में मरना नही चाहता। बगुले ने सोचा मछली खाते खाते बहुत दिन हो गए। क्यों न मुंह का स्वाद बदल लिया जाए यह सोचकर उसने केकड़े को अपनी पीठ पर बैठा लिया और उड़ चला। काफी देर उड़ने के बाद बगुला उसी चट्टान पर उतरने लगा। केकड़े ने बड़ी हैरानी से इधर उधर देखा। उसे झील तो कही दूर दूर तक नजर नहीं आ रही थी। तभी उसकी नजर चट्टान पर पड़ी मछलियों की हड्डियों पर पड़ी। उन हड्डियों को देखते ही उस बदमाश बगुला की सारी मक्कारी समझ गया। वह तुरंत लपककर बगुले की गर्दन पर जा चढ़ा और चिल्लाया मक्कार बगुला तूने हमारे साथ छल किया है मछलियों का जीवन बचाने के बहाने तूने उन्हें इस चट्टान पर लाकर मार डाला। आज मैं तुझे अपनी किसी और मछली बहन को खाने के लिए जीवित नहीं छोडूंगा। 

यह कहते हुए केकड़ा पूरी ताकत से बगुले की गर्दन मरोड़ने लगा म बगुले ने केकड़े की पकड़ से अपनी गर्दन छुड़ाने की भरसक कोशिश की, वह कामयाब न हो सका। थोड़ी ही देर में उसके प्राण उड़ गए और वह जमीन पर गिर पड़ा। केकड़े ने बगुले की गर्दन काट दी और वह गर्दन लेकर वापिस किसी तरह रेंगता हुआ अपनी झील पर जा पहुंचा। जब उसने मछलियों को बगुले की मक्कारी की सारी बात बताई तो वे हैरान रह गई। उन्हें अपनी साथी मछलियों के मरने का बहुत दुख था। लेकिन यह खुशी भी थी कि केकड़े की होशियारी के कारण उनकी जान बच गई हैं। 


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