दोस्ती

 एक कुएं में मुलदत नाम का मेढक अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ रहता था। वह अपने रिश्तेदारों से बहुत चिढ़ता था क्योंकि वे अक्सर बिना बात उसे चिढ़ाते रहते थे। एक दिन मुलदत ने उन्हें सबक सिखाने का फैसला कर लिया। उसने सोचा इस कुएं से बाहर निकल कर किसी मजबूत प्राणी को अपना दोस्त बनाता हूं। फिर उसकी मदद लेकर मैं इन सबको सबक सिखाऊंगा। यह सोचकर कुएं से बाहर निकल आया और उसकी मुडेर के पास ही बैठकर मेंढ़को के किसी शत्रु का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर में ही उसे एक सांप उस ओर आता दिखाई दिया। उसे देखते ही मूलदत की खुश हुआ। वह जानता था कि वह भयानक सांप उसके सब रिश्तेदारों को खत्म कर सकता है। उसने सोचा मैं इस सांप को अपने पक्ष में कर लूंगा। मेरे रिश्तेदारों के खत्म होने के बाद फिर मुझे चिढ़ाने वाला कोई नहीं रह जाएगा। 

 यह सोचकर मूलदत उस सांप के पास जा पहुंचा और अपना परिचय देते हुए बोला मेरा नाम मूलदत है मैं तुम्हारा दोस्त बनना चाहता हूं। क्या तुम मेरी दोस्ती कबूल करोगे एक मेढक के मुंह से दोस्ती का नाम सुनकर सांप सोच में पड़ गया। उसने कहा एक मेंढक सांप का दोस्त बनना चाहता है क्या तुम्हे पता नहीं कि सांपों को मेंढकों का स्वाद बहुत पसंद है। मुझे पता है लेकिन मैं फिर भी तुम्हारा दोस्त बनना चाहता हूं क्योंकि इस दोस्ती से हम दोनों का फायदा होगा मूलदत हंसकर बोला इसमें मेरा क्या फायदा हो सकता है सांप ने मूलदत से पूछा। 

में जिस कुएं में रहता हु उसमें मेरे बहुत से रिश्तेदार भी रहते हैं अपनी बातों से उन्होंने मुझे परेशान कर रखा है। उनकी वजह से मेरा जीवन बिल्कुल नरक बन गया है। मैं तुम्हे उस कुएं में ले चलूंगा। तुम मेरे बदमाश रिश्तेदारों को अपना भोजन बना लेना। इस तरह तुम्हे स्वाद भोजन मिलेगा और मेरे दुश्मन भी खत्म हो जाएंगे। यह तो बड़ी अच्छी बात है सांप बोला बस तुम मुझे कुएं में घुसने का कोई रास्ता बता देना क्योंकि मुझे तैरना नहीं आता। मूलदत खुशी से चहकता हुआ बोला मैं तुम्हे एक ऐसा रास्ता बता दूंगा जिससे तुम बड़ी आसानी से कुएं में घुस सकोगे। वहां आकर तुम मेरे सब दुश्मनों को खा लेना। लेकिन मेरे दोस्तों और मेरे जान पहचान वाले को नहीं मारना। मैं तुम्हे बताऊंगा कि तुम्हे किन मेंढकों को मारना हे और किनको नहीं। 

उधर सांप सोच रहा था बच्चू एक बार मुझे उस कुएं में ले तो चल। फिर तो मैं मेंढकों को चुन चुनकर खाऊंगा। फिर मूलदत उस भयानक सांप को अपने साथ ले चला। उसने सांप को वह रास्ता बता दिया। जिससे वह बड़ी आसानी से कुएं के भीतर पहुंच सकता था। सांप उस कुएं के भीतर जा पहुंचा। मूलदत भी उसके साथ था। मूलदत के साथ एक भयानक सांप को देखकर उसके विरोधियों के दिल दहल गए। उसने अपनी मौत सामने नजर आ रही थी। जब मूलदत उनकी ओर इशारा करके सांप को कुछ बता रहा था। फिर सांप ने उसी दिन से सांप मूलदत द्वारा बताए गए मेंढ़कों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया। वह रोज दो या तीन मेंढ़को को शिकार बनाकर अपना पेट भरता। कुछ ही दिनों में उसने मूलदत के सभी शत्रुओं को अपना शिकार बना लिया। लेकिन अब तक उसे मेंढ़कों का स्वाद रास आ गया था। फिर उसने मूलदत से बिना पूछे ही उसके साथियों को भी खाना शुरू कर दिया। मूलदत के मना करने के बाद भी वह नहीं माना। कुछ ही दिनों में उस कुएं में मुलदत अकेला मेंढक रह गया। 

फिर वह सांप मूलदत के पास जाकर बोला प्यारे दोस्त मैने तुम्हारे कुएं के सभी मेंढ़कों को अपने वादे के अनुसार अपना भोजन बना लिया है अब तुम्हारा दायित्व है कि तुम मेरे लिए भोजन का प्रबंध करो। मैं क्या करूं कुएं के सारे मेंढक तो मर चुके हैं अब मे तुम्हारे लिए मेंढक कहा से लाऊं मूलदत बोला। 

यह सोचना तुम्हारा काम हे सांप ने कहा मुझे तुम यहां लेकर आए थे। अब तुम ही सोचो कि मेरे लिए भोजन की व्यवस्था तुम कैसे करोगे। 

मूलदत समझ गया कि उसका जीवन अब खतरे में है। लेकिन वह बुद्धिमान था। उसने जल्दी ही अपनी जान बचाने की एक योजना सोच ली। वह सांप से बोला ठीक है, दोस्त। मैं तुम्हारे लिए और भी भोजन ले आऊंगा। लेकिन उसके लिए मुझे इस कुएं से बाहर जाना पड़ेगा। तुम तो जानते ही हो इस कुएं के सारे मेंढक खत्म हो गए हैं इसलिए मैं किसी अन्य कुएं में जाकर वहां के मेंढ़कों से दोस्ती बनाऊंगा और फिर उन्हे बहला फुसलाकर यहां ले आऊंगा। तब तक तुम यही आराम से रहो। 

सांप बोला ओर यदि तुम यहां लौटकर न आए तो मैं तुम्हे कहा ढूंढता फिरूंगा ऐसा करता हु मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूं। 

अरे अरे कैसी बाते कर रहे हो मूलदत घबराता हुए बोला अगर तुम मेरे साथ चले तो फिर कौन मेंढक मुझसे दोस्ती करने को तैयार होगा। तुम बिल्कुल भी चिंता न करो बस थोड़ा सा धीरज रखो। में तुम्हारे लिए यही भोजन की व्यवस्था कर  दूंगा। ठीक है सांप बोला। 

सांप ने उसकी बात मान ली। मूलदत तुरंत कुएं से बाहर निकल कर भाग गया। वह सोच रहा था मैं मूर्ख था जो मैंने उस सांप की बात पर भरोसा किया। अगर मैं उस कुएं से बाहर न आ पाता तो वह दुष्ट मुझे भी अपने ग्रास बना लेते। 

शिक्षा= हर काम सोच समझकर करो।

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