बन गया शेर
चार मित्र अपने गुरु के आश्रम में रहकर विद्या सीख रहे थे गुरु ने उन्हें बहुत से श्लोकों का पाठ करना सिखाया था उन्होंने उन्हें बहुत सी पूजाओं ओर यज्ञों को संपन्न कराने की विधि भी सिखाई थी विद्या पूरी करने के बाद उन्होंने अपने घर लौट जाने का निश्चय किया। जब वे अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने उनके समीप पहुंचे तो उन्होंने कहा मुझे जो कुछ भी आता था वह मैने तुम्हे सिखा दिया है लेकिन एक बात का ध्यान रखना। इस विद्या का प्रयोग खूब सोच समझकर करना अन्यथा तुम परेशानी में पड़ जाओगे इसके बाद शिष्यों ने गुरु को प्रणाम किया और अपने घरों की ओर चल पड़े। उनके गांव के रास्ते में एक घना जगल पड़ता था जब वे जगल से होकर गुजर रहे थे तभी उनकी दृष्टि एक शेर के कंकाल पर पड़ी। उसकी हड्डियों इधर उधर बिखरी पड़ी थी यह देखकर ज्ञानेंद्र नाम का एक शिष्य अपने साथियों से बोला साथियों अपनी परीक्षा लेने का यह हमे उपयुक्त अवसर मिला है मैं अपनी विद्या का प्रयोग करके इन हड्डियों को जोड़ देता हूं। कोई कुछ कह पाता इसके पहले ही ज्ञानेंद्र आंखे बंद करके एक मंत्र का पाठ करने लगा वह मंत्र पूरा होते होते यंत्र तंत्र बिखरी हड्डियों आपस में जुड़ गई। यह देखकर सभी मित्र हर्षित होकर एक दूसरे की शक्ल देखने लगे। तभी दूसरे मित्र अनुपम ने कहा मुझे एक ऐसा मंत्र मालूम है जिससे मैं इस शेर के सभी अंगों का निर्माण कर सकता हु। सभी अंगों को एक दूसरे से संयुक्त कर सकता हु और फिर शेर के शरीर को त्वचा से ढक सकता हु। यह कहकर अनुपम ने एक मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया। उस मंत्र के खत्म होते ही उस शेर का शरीर पूरी तरह तैयार हो गया। तभी सुवीर नाम का एक तीसरा मित्र बोला मेरे पढ़ने की देरी है कि यह शेर पूरी तरह एक जीता जागता जानवर बन जाएगा मैं अपनी शक्ति से किसी भी मृत शरीर में जान फूंक सकता हु। वह मंत्र पढ़ने ही जा रहा था तभी चौथा मित्र गोपी बोल पड़ा भैया ऐसा मत करना अगर तुमने इस शेर को जीवित कर दिया तो वह हम सबको खा जाएगा गोपी की बात सुनकर तीनों मित्र हंसने लगे अनुपम बोला इस कायर को तो देखो। न तो इसे विद्या ही आती है और न ही इसमें हिम्मत है गोपी ने उन्हें यह समझाने की बहुत कोशिश की कि उस शेर को जीवित करके वे अपना जीवन खतरे में डाल रहे हैं लेकिन उन लोगों ने उसकी एक न सुनी। वे तीनो अपने निश्चय पर अड़े हुए थे। तब गोपी बोला अगर तुम्हे मेरी बात नहीं माननी है तो कम से कम मुझे किसी पेड़ पर चढ़ने का समय दे दो। उसकी यह बात सुनकर सभी दोस्त उसकी और भी ज्यादा हंसी उड़ाने लगे। उधर गोपी भागकर एक ऊंचे पेड़ पर जा चढ़ा। सुवीर अपना मंत्र पढ़ने लगा। मंत्र खत्म होते ही शेर जीवित हो उठा। उसने खड़े होकर अंगड़ाई ली और जोर को दहाड़ मारी। तीनों दोस्त हंसते हुए एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे। लेकिन वे ज्यादा देर न हंस सके क्योंकि उन पर नजर पड़ते ही उस शेर ने उन पर झपटकर उन्हें चीरफाड़ डाला। उन्हें भागने का भी मौका न मिला। उनका काम तमाम करके शेर जगल के घने हिस्से चला गया। फिर गोपी उस पेड़ से नीचे उतर आया और अपने मित्रों के मृत शरीरों को ओर देखता हुआ बोला अफसोच कि तुम्हे विद्या तो आ गई लेकिन उसका ठीक से प्रयोग करना नहीं आया।
शिक्षा= ज्ञान का प्रयोग ठीक प्रकार से करना चाहिए।
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