दिन के सपने
एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था वह भिक्षा मांगकर अपना जीवन यापन करता था एक बार जब वह भिक्षा मांगकर अपने घर वापिस लौट रहा था तभी उसे सड़क के किनारे रखा एक घड़ा दिखाई दिया उड़ने घड़े को खोलकर देखा तो पाया कि उसमें आटा भरा हुआ था वह उस घड़े को खुशी खुशी घर ले आया। उसने उस घड़े को अपने बिस्तर के पास ही लटका दिया और खुद बिस्तर पर लेटकर आराम करने लगा। वह सोच रहा था कल मैं इस घड़े को बाजार ले जाकर सारा आटा बेच दूंगा। जितना पैसा मुझे मिलेगा वह एक बकरी खरीदने के लिए काफी होगा। वह बकरी मुझे दूध देगी। इस तरह मुझे घर बैठे दूध पीने को मिलेगा कुछ दिनों बाद वह बकरी अपने बच्चों को जन्म देगी। वे बच्चे भी बड़े हो जाएंगे वे भी तब दूध देगे मैं उस दूध को बेचकर पैसे कमाऊंगा। इस तरह मेरे पास पैसे की कोई कमी नहीं रहेगी। जल्द ही मेरे पास बकरियों की अच्छी खासी भीड़ हो जाएगी। फिर मैं उन बकरियों को भी बाजार में बेच दूंगा। उस धन से मैं गाये खरीदूंगा। मेरे पास जितनी गाये होगी उतनी पूरे गांव में किसी के पास नहीं होगी। बकरियों की तरह वे भी मुझे दूध देगी मैं गायों का दूध बाजार में बेचकर खूब पैसे कमाऊंगा। उन गायों के बछड़े होगे। वे बड़े होकर खूब दूध दिया करेंगे। मैं उनके दूध का दही मक्खन और घी बनाऊंगा और बाजार में बेचूंगा। उस पैसे से मैं ओर भी गाये खरीदूंगा। उनके दूध से भी मैं ढेर सारे पैसे कमाऊंगा। जल्दी ही मेरे पास इतना पैसा हो जाएगा कि मैं अपने लिए शानदार मकान बना सकू। फिर मैं इस गांव का सबसे धनी व्यक्ति बन जाऊंगा। गांव में सबसे ज्यादा मान समान मेरा होगा मुझसे बिना पूछे गांव वाले कोई भी कार्य नहीं किया करेंगे। फिर एक दिन मैं पड़ोस के गांव की सबसे सुंदर लड़की से शादी कर लूंगा। उस स्त्री से मेरे कई बच्चे होगे। एक दिन मैं किसी काम से बाहर जाऊंगा तो वे बच्चे शैतानी करना शुरू कर देंगे। मेरे घर लौटने पर मेरी पत्नी सारी बात बताएगी। मुझे गुस्सा आ जाएगा और में डंडा उठाकर बच्चों को पीटना शुरू कर दूंगा यह सोचते सोचते उसने डंडा उठाया और हवा मे चला दिया वह डंडा घड़े से जा टकराया और सारा बिखर गया। इस तरह उस ब्राह्मण के सारे सपनों का अंत हो गया।
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