सियार की हिम्मत

 जगल में एक बूढ़ा सियार रहता था वह भोजन की तलाश में इधर उधर घूम रहा था उसने कई दिनों से कुछ खाया नहीं था और उसको तेज भूख लगी थी वह मन ही मन में सोच रहा था कि अगर मुझे जल्दी कुछ खाने को नहीं मिला तो मैं मर जाऊंगा अचानक जोर जोर से आवाज सुनकर वह बुरी तरह घबरा गया और भागने लगा लेकिन कुछ ही दूर आगे बढ़ने पर उसके दिमाग में आया कि मुझे इस तरह नहीं घबराना चाहिए जिस जगह से वह आवाज आ रही थी वहां जाकर देखता हु कि यहां पर क्या है शायद वहां पर कुछ खाने को मिल जाता है तो मज़ा आ जाएगा वैसे भी मुझे बहुत भूख लग रही है और अगर खाने को नहीं मिला तो मैं बच नही सकता 

यह सोचकर सियार उस ध्वनि की दिशा में जाने लगा जैसे जैसे वह करीब पहुंच रहा था वह आवाज तेज होती जा रही थी लेकिन सियार भी हिम्मत कर उसकी ओर बढ़ता गया थोड़ी ही देर में वह उस स्थान पर जा पहुंचा वह दरअसल एक मैदान था सियार ने एक पेड़ के पीछे छिपकर उस ओर देखा तो उस मैदान को पूरी तरह खाली पाकर हैरान रह गया वह सोचने लगा यहां तो कोई भी नहीं हे फिर यह आवाज कहा से आ रही थी 

सियार उस मैदान में जा पहुंचा और ध्यान से उसका निरीक्षण करने लगा उस मैदान में यहां वहां टूटे हुए धनुष तीर तलवार और ढाल पड़े हुए थे ऐसा लग रहा था जैसे वहां कोई लड़ाई लड़ी गई हो मैदान के एक और एक बरगद के पेड़ के नीचे एक विशाल नगाड़ा रखा हुआ था हवा के चलने पर पेड़ की डाली उस नगाड़े से टकरा रही थी जिससे वह आवाज हो रही थीं उस आवाज का कारण समझकर सियार ने राहत की सांस ली उसने सोचा में तो ऐसे ही डर रहा था इस आवाज में तो डर वाली कोई बात नहीं है जब मैं जगल के प्राणियों को इस आवाज का रहस्य बताऊंगा तो वे मुझे बड़ा बुद्धिमान समझेंगे फिर वे सियार नगाड़े की ओर बढ़ा नगाड़े के पास पहुंचते ही उसकी आंखे खुशी से चमक उठी वहां सैनिकों द्वारा छोड़ा गया बहुत सा स्वादिष्ट भोजन पड़ा हुआ था उसने पेट भरकर भोजन किया वह सोच रहा था अगर मैं डर से भाग जाता तो मुझे भोजन कैसे प्राप्त होता इसलिए कहते हैं कि हिम्मत करने वाला ही इस दुनिया में जी सकता है भोजन करने के बाद सियार मस्त चाल से जगल में लौट गया जब उसने अन्य जानवरो को अपनी खोज के बारे में बताया तो वे बड़े हैरान हुए पूरे जगल में सियार की खूब वाहवाही हुई 

शिक्षा,=साहस से ही कोई भी वस्तु मिल जाती हे 

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