बदमाश बिल्ली

 एक गांव में एक पीपल का पेड़ था उस उसे पेड़ के एक खोखले तने मैं एक तीतर रहता था एक दिन जब वह भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था तभी उसने जगल के एक हिस्से में कुछ बीजों को बिखरे हुए देखा चूंकि वहां भोजन की कोई कमी नहीं थी इसलिए तीतर ने फैसला किया कि जब तक वह सब बीजों को खा नहीं लेता तब तक वह वही रहेगा कई दिनों बाद जब तीतर अपने घर वापस लौटा  उसने देखा कि उस तने को एक खरगोश ने अपना घर बना लिया है यह देखकर उसे आश्चर्य भी हुआ ओर गुस्सा भी आया वह खरगोश से बोला तुम यहां क्या कर रहे हो यह मेरा घर है और तुम्हे यहां रहने का कोई अधिकार नहीं है इस पर खरगोश ने उत्तर दिया जब मैं यहां आया था तो यहां कोई नहीं था इसे खाली देख कर मैंने इसे ही अपना घर बना लिया अब यही मेरा घर है तुम्हारा इस पर कोई अधिकार नहीं है 

तीतर बोला में इस घर में कई सालों से रह रहा हूं इसलिए यह घर मेरा ही है तुम अपने लिए कोई ओर घर देख लो जल्दी ही उनके बीच जोर जोर से बाद विवाद होने लगा उनमें झगड़ा होते देखकर आसपास रहने वाले जानवर वहां इकट्ठे हो गए जब उन्होंने तीतर और खरगोश से झगड़ने का कारण पूछा तो उन्होंने उनको सारी बात बता दी उनकी बात सुनकर जानवर भी दो दलों में विभाजित हो गए कुछ जानवर तीतर का पक्ष सही मान रहे थे तो कुछ का मानना था कि खरगोश अपनी जगह ठीक है कुछ तक दोनों पक्षों में बहस होती रही लेकिन कोई फैसला न हो सका उन्हीं जानवरों में एक चतुर तोता भी था तीतर और खरगोश की बातों पर विचार करके उसने कहा ऐसा करो तुम लोग गंगा नदी के किनारे चले जाओ वहां तुम्हें बहुत से विद्वान संत महात्मा मिलेगे वे तुम्हारा मामला सुनकर तुम्हारे विवाद का निपटारा कर देगे वे बहुत विद्वान हैं इसलिए वे तुम्हारे साथ उचित न्याय कर सकेंगे तीतर और खरगोश को तोते का सुझाव बहुत पसंद आया दोनों ही गंगा नदी के तट की और चल पड़े रास्ते में एक बदमाश बिल्ली ने उन्हें देखा जानवरों को ठगना के लिए वह संत होने का ढोंग किए रहती थी मौका पाते ही वह उन्हें या तो ठग लेती थीं या फिर अपना शिकार बना लेती थी वह तीतर और खरगोश से पहले ही गंगा नदी के तट पर जा पहुंची और इस तरह बैठ गई जैसी ध्यान कर रही हो उसे देखकर खरगोश ने तीतर से कहा देखो वहां एक संत बिल्ली ध्यान लगाए बैठी हैं हमे उसी के पास चलकर अपने झगड़े का निपटारा करने की प्रार्थना करनी चाहिए वह जरूर हमारा उचित फैसला कर देगी 

फिर खरगोश और तीतर उस बिल्ली के पास जा पहुंचे और उससे आंखे खोलकर बोली हा मुझे बताओ में तुम्हारे लिए कक्या कर सकती हूं हम तो संत हैं हमारा तो काम ही लोगो की सहायता करना है 

तीतर सिर झुकाकर बोला महात्मा जी इस खरगोस ने मेरे घर पर कब्जा कर लिया है मैं उस घर में कई सालों से रह रहा था कुछ दिनों के लिए अपनी रोजी रोटी कमाने मैं घर से बाहर चला गया था वापस लौटा तो मैने इसे अपने घर में रहते हुए देखा खरगोश ने कहा संत जी ये गलत बोल रहा है में जब वहां पहुंचा तो उस पेड़ का तना खाली पड़ा हुआ था इसलिए मैंने उसे अपना घर बना लिया उसे मैने खूब मेहनत से सजाया संवारा और उसमें रहने लगा कुछ दिन बाद ये आ गया और उसे अपना घर बताने लगा आप ही बताए कोई इस तरह अपना घर छोड़कर इतने दिनों के लिए जाता है क्या 

उधर बिल्ली की रुचि उनके झगड़े का निपटारा करने में नहीं थी वह तो अपना उल्लू सीधा करने की फिराक में थी उसने उन दोनों से कहा में जरा ऊंचा सुनती हु इसलिए तुम दोनों कि बात ठीक से सुन नहीं पाई जरा मेरे नजदीक आकर अपनी बात फिर से कहो तीतर और खरगोश दुष्ट बिल्ली की बातों में आ गए जैसे ही वे दोनों उसके नजदीक पहुंचे उसने झपटकर उन दोनों को पकड़ लिया और खा गई 

शिक्षा= दो व्यक्तियों की लड़ाई में तीसरे का फायदा होता है 

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