बुद्धिमानी व्यापारी

 बहुत पहले की बात है किसी गांव में एक व्यापारी रहता था उसका नाम धनीराम था वह बहुत परिश्रमी और दयालु था उसके पास एक गधा था प्रतिदिन सुबह वह गधे की पीठ पर नमक लादकर आस पास के गांवों में बेचने जाता था रास्ते में उसे कई नाले और छोटी छोटी नदिया पार करनी पड़ती थी 

एक दिन व्यापारी एक नदी पार कर रहा था तभी अचानक गधा नदी में गिर गया नदी में गिरने से गधे की पीठ पर लदा हुआ नमक भी गल गया और गधे का वजन भी कम हो गया 

जब गधा खड़ा हुआ तो उसे अपनी पीठ पर पहले की अपेक्षा वजन कम लगा इससे गधा बहुत खुश हुआ व्यापारी गधे को लेकर अपने घर वापस आ गया घर आकर व्यापारी ने गधे को उसके स्थान पर बांध दिया उस दिन गधे को पूरा आराम मिला इससे गधा बहुत खुश हुआ अब यह बात उसकी समझ में आ गई कि यह बोझ पानी में गिरने के कारण ही हल्का हुआ है रोजाना की तरह दूसरे दिन भी व्यापारी ने गधे पर नमक की बोरियो लादी और अपने व्यापार के लिए चल दिया गधा जैसे ही नदी पार करने लगा वह जान बूझकर पानी में बैठ गया व्यापारी ने गधे की और देखा उसे बहुत गुस्सा आया उसने उसकी खूब धुनाई की वह उसकी चालाकी समझ गया था वह गधे को लेकर वापस आ गया अब व्यापारी ने गधे को सबक सिखाने की योजना बनाई अगले दिन व्यापारी ने उस गधे की पीठ पर रुई के गट्ठर लाद दिए आज गधे को अपना बोझ काफी हल्का लग रहा था लेकिन गधा तो गधा ही था वह व्यापारी की चाल को नहीं समझ पाया उसने अपने बोझ को और अधिक हल्का करने का मन बनाया जैसे ही गधा नदी में प्रवेश किया उसने अपनी वहीं वाली तरकीब अपनाई वह पानी में बैठ गया ललेकिन उनको पता भी था कि अपने के साथ धोखे होने वाला हे वह हमेशा की तरह पानी में बैठ गया जब वह खड़ा हुआ तो उसका बोझ बहुत ज्यादा भारी हो गया रूई के गट्ठर ने खूब पानी सोख लिया था पानी से बाहर आने पर गधे को बहुत परिश्रम करना पड़ा गधा अपनी मूर्खता पर बहुत पछताया उस दिन के बाद वह फिर कभी पानी में नहीं बैठा  व्यापारी ने सोचा मूर्ख सबक सिखाने से ही काबू में आते है 

शिक्षा= आवश्यकता से ज्यादा चालाकी नहीं करनी चाहिए 

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