दया का फल
बहुत समय पहले एक जगल में एक शेर रहता था उस जगल में उसका शासन था शेर की आँखें बहुत बड़ी ओर लाल लाल होने के कारण उस जगल में सारे जानवर थर थर कांपते थे एक दिन दोपहर को एक चीतले का शिकार करके भरपेट भोजन किया और फिर लेटकर आराम करने लगा जल्दी ही गहरी नींद में सो गया औरजोर जोर से खराटे भरने लगा जिस जगह शेर सो रहा था वहीं पर एक चूहे का बिल था शेर के जोरदार खराटे से चूहा परेशान हो गया और अपने बिल से बाहर आया पहले तो चूहा शेर को देखकर घबराया लेकिन फिर वे सोचने लगा कि वह अभी गहरी नींद में सो रहा हे इसलिए यह मेरा अभी कुछ नहीं बिगाड़ सकता यह सोचकर सोते हुए शेर के ऊपर उछलने लगा उसकी उछल कुद से शेर को गुदगुदी होने लगी उसने अपनी पीठ पर पूंछ मारकर चूहे को भगा दिया ओर फिर गहरी नींद में सो गया चूहा इस बार शेर के नाक के पास जा पहुंचा और उसकी मूंछों के साथ खिलवाड़ करने लगा इस बार शेर की आंख खुल गई चूहे को अपने पंजे में पकड़ लिया फिर वह जोर से दहाड़ता हुआ चूहे से बोला बदमाश चूहे मेरी दोपहर की नींद खराब करने की तेरी हिम्मत कैसे हुई अब में तुझे खा जाऊंगा जगल के राजा की नींद खराब करने की सजा तुझे जरूर मिलेगी शेर की बात सुनकर चूहा बहुत घबराया वह डरते डरते बोला आप तो इस जगल का राजा हो शेर महाराज मुझे एक मूर्ख प्राणी समझकर माफ कर दो मेरे जैसे छोटे प्राणी को मारने से आपकी कोई शान नहीं बढ़ेगी बल्कि सारे जानवर यही कहेंगे कि महाराज शेर ने एक चूहे को उसके छोटे से अपराध पर मार डाला चूहा फिर बोला मेरी जान बख्श दो महाराज मुझे प्राणदंड मत दो में वादा करता हु कि अगर आज मुझे छोड़ देगे तो जीवन में कभी भी में आपके एहसान का कर्ज कभी भी चुका दूंगा अगर कभी ऐसा मौका आया तो मुझे आपकी मदद करनी पड़ी तो में जरूर करूंगा चूहे की बात सुनकर शेर जोर जोर से हंसने लगा और बोला तुम्हारे जैसा चूहा मेरी मदद करेगा तुम्हारी बात सुनकर मुझे इतनी हंसी आ रही हे जितनी मुझे जीवन में कभी नहीं आई चलो कोई बात नहीं में तुम्हे आजाद करता हु ये मत सोचना कि यह कहते हुए शेर ने चूहे को छोड़ दिया चूहे गिरते पड़ते वहां से भाग निकला इस घटना के कई दिनों बाद कुछ शिकार शेर को पकड़ने के लिए जगल में आए ताकि वे शेर कोएक सर्कस में बेचकर पैसे कमा सके उन्होंने एक मज़बूत जाल बिछाया और थोड़ी दूर जाकर बैठ गए उस समय जगल का राजा उसी रास्ते से आ रहे थे जगल का राजा उसी जाल में फंस गया शेर ने उस जाल से छुटने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ जाल बहुत मजबूत थी और उसे तोड़ना शेर के बस की बात नहीं थी
शेर को दर्द होने उसे अनुभव हो रहा था कि उसके स्वतंत्र जीवन का अंत अब निकट ही हे उसने कभी नहीं सोचा था कि उसे कभी इस तरह धोखे से पकड़ लिया जाएगा शेर की पीड़ा आवाज सुनकर चूहा अपने बिल से बाहर निकल आया जब उसने शेर को जाल में फंसे देखा तो दौड़कर उसके पास आया और शेर ने पुरी बात बताई तब चूहे में शेर से कहा आप चिंता न करिए में अपने दांतों से अभी इस जाल को काट दूंगा आपको डरने की कोई जरूरत नहीं हे यह कहकर चूहे ने जल्दी से कटना शुरू कर दिया ओर शेर को जाल से मुक्त कर दिया तब चूहा शेर से बोला उस दिन आप मुझ पर हंस रह थे मैने आपको कहा था ना किसी दिन में आपकी मदद कर सकता हु अब आपको समझ आ गया होगा आज छोटा ओर कमजोर प्राणी भी कभी कभी मददगार साबित हो सकता शेर बोला हा मेरे दोस्त आज के बाद तुम मेरी प्रजा नहीं बल्कि मेरे दोस्त हो आज तूने मुझे जीवन का पाठ पढ़ाया हे अब में इस जगल के किसी भी प्राणी को परेशान नहीं करूंगा और सभी साथ दयालुता की भावना से व्यवहार करूंगा अब हम ओर सब जानवर इस जगल में हंसी खुशी से जीवन यापन करेंगे
शिक्षा= हमें सभी के साथ दया रखनी चाहिए
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